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1. यह स्पष्ट कीजिए कि 1857 का विपल्ल्व किस प्रकार औपनिवेशिक भारत के प्रति ब्रिटिश नीतियों के विकास क्रम में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक मोड़ है? ( 200 शब्दों में )
कैनिंग के शासनकाल में 1857 की महान क्रांति हुई । 1857 की क्रांति का आरंभ मेरठ से हुआ धीरे-धीरे यह दिल्ली, लखनऊ, झांसी, कानपुर इत्यादि तक फैली इसकी शुरुआत तो सैन्य तौर पर हुई, परंतु समय के साथ इसका स्वरूप बदल कर ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध जनव्यापी विद्रोह का हो गया।
इसके प्रभाव में आने वाले समय में नीतियों में व्यापक परिवर्तन देखने को मिलता है।
1. ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत - ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत 1857 की युद्ध के बाद समाप्त हो गया । भारत सरकार अधिनियम 1858 द्वारा भारत का शासन कंपनी के हाथों से ले लिया गया और उसको ब्रिटिश ताज के अधीन कर दिया गया ।
2. भारतीयों की राजनीतिक सहभागिता - 1861 के अधिनियम के द्वारा भारत में संवैधानिक विकास का सूत्रपात हुआ । इस कानून द्वारा अंग्रेजों ने ऐसी नीति प्रारंभ की जिसे सहयोग की नीति या उदार निरंकुशता की संज्ञा से अभिहित किया जाता है क्योंकि इसके माध्यम से सर्वप्रथम भारतीयों को शासन में भागीदार बनाने का प्रयत्न किया गया ।
3. विकेंद्रीकरण की नीति - 1861 के अधिनियम के माध्यम से पहली बार विधि निर्माण में भारतीयों का सहयोग प्राप्त किया गया । इसके द्वारा बंबई और मद्रास में विधि निर्माण की शक्ति पुनः प्राप्त की गई। अन्य प्रांतों में भी ऐसी विधान परिषद स्थापित करने की व्यवस्था की गई।
4. अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार - 1853 ईस्वी में वुड्स डिस्पैच ने देश में उच्च शिक्षा के लिए प्रयास किया लेकिन प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया । कुछ समय बाद 1882 में हंटर आयोग आया इसके माध्यम से पंजाब विश्वविद्यालय , इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना हुई और 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
अंततः 1857 में हुई राज्यक्रांति तथा शिक्षा के प्रसार में भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना को सुदृढ़ किय, 1885 में कांग्रेस की स्थापना तथा ईल्बर्ट विल विवाद के पश्चात भारतीयों को प्रशासन तथा विधि निर्माण में और अधिक प्रतिनिधित्व देने की मांग में काफी जोर पकड़ लिया।
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